डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा राम भरोसे, साइबर हमले से निपटने के लिए प्रशिक्षित पेशेवरों का अभाव

कैशलेस अर्थव्यवस्था की कल्पना को साकार करने के लिए देश को बेशक डिजिटल इंडिया बनाने की वकालत हो रही है मगर डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा राम भरोसे ही है। डिजिटल इंडिया पर साइबर हमले का खतरा मंडरा रहा है और सरकार के पास साइबर हमले से निपटने के लिए प्रशिक्षित पेशेवरों का भारी अभाव है। संसद की वित्त संबंधी स्थाई समिति ने डिजिटल इंडिया की सुरक्षा को लेकर सरकार के सामने अपनी चिंता व्यक्त की है। समिति का कहना है कि राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों ही स्तर पर साइबर चुनौतियां बढ़ रही हैं। साइबर हमलावरों के जरिए प्रस्तुत की जाने वाली चुनौतियों से निपटने में प्रशिक्षित पेशेवरों का अभाव है। समिति ने सरकार से मिशन में जुटकर प्रशिक्षित साइबर पेशेवरों की भर्ती करने की अनुशंसा की है। साथ ही राज्य की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा गृहमंत्रालय के समन्वय से विशेष निगरानी पर बल दिया है।
साइबर संकट प्रबंधन व्यवस्था बनाने पर जोर
कांग्रेस सांसद एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने डिजिटल इंडिया की सुरक्षा के लिए सरकार से एक व्यापक साइबर संकट प्रबंधन व्यवस्था बनाने पर बल दिया है। जिसमें साइबर संकट की स्थिति में एक सुनिर्धारित कार्रवाई योजना और संबंधित विभाग एवं एजेंसियों को कार्य सौंपे गए हों। ग्राहक की निजता और डाटा सुरक्षा पर सरकार को सचेत करते हुए संसदीय समिति ने कहा है कि देश को अब तत्काल एक डाटा न्यूनीकरण, डाटा निजता और डाटा स्थान विधि की आवश्यक्ता है। ताकि सार्वजनिक और निजी डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। सरकार से एक डाटा बचाव विधान लाने का आग्रह किया है।
विवाद सुलह केंद्र का सुझाव
एटीएम धोखाधड़ी, क्लोनिंग और फिशिंग के बढ़ते मामलों को देखते हुए संसदीय समिति ने सरकार से एक हैल्पलाइन (एसओएस) नम्बर मुहैया कराने को कहा है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर उस नंबर का उपयोग ग्राहक आसानी से कर सके। डिजिटल उपयोगकर्ता को आने वाली समस्याओं के निदान के लिए संसदीय समिति ने एक विवाद निपटान तंत्र बनाने के लिए सरकार से आग्रह किया है। जहां धोखाधड़ी आदि की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जा सके और समयबद्ध तरीके से समाधान मुहैया करवाया जा सके।
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