7 मई 2025: जानें बुधवार का पंचांग, रवि योग, शुभ मुहूर्त और टैगोर जयंती का महत्व

7 मई 2025: जानें बुधवार का पंचांग, रवि योग, शुभ मुहूर्त और टैगोर जयंती का महत्व
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बुधवार, 7 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन कई ज्योतिषीय संयोगों और शुभ योगों से भरपूर रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि प्रातः 10 बजकर 20 मिनट तक प्रभावी रहेगी। इसके पश्चात एकादशी तिथि का आरंभ होगा, जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व है क्योंकि कई शुभ योगों और नक्षत्रों का संयोग भी बन रहा है। साथ ही इस दिन महान कवि और विचारक गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती भी मनाई जाएगी।

पंचांग के अनुसार दिन की शुरुआत और योग

7 मई को सूर्योदय के साथ ही दिन की शुरुआत रवि योग में होगी, जो शाम 6 बजकर 17 मिनट तक प्रभावी रहेगा। रवि योग को सभी कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक रहती है। साथ ही, इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र भी शाम 6:17 बजे तक रहेगा, जो सौंदर्य, कला और प्रेम से जुड़े कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इन दो शुभ संयोगों के चलते यह दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जा रहा है।

तिथि, नक्षत्र और योग का संयोग

* दशमी तिथि समाप्ति: सुबह 10:20 बजे तक

* एकादशी तिथि आरंभ: 7 मई को सुबह 10:20 बजे से

* पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र: शाम 6:17 बजे तक

* रवि योग: सुबह से शाम 6:17 बजे तक

इन सभी योगों के कारण यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों, व्रत की तैयारी और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत उपयुक्त है। विशेषकर जो लोग मोहिनी एकादशी का व्रत रखने वाले हैं, उनके लिए यह दिन व्रत आरंभ की पूर्व तैयारी के लिए शुभ माना गया है।

राहुकाल और दिन का समयचक्र

* सूर्योदय: सुबह 05:34 बजे

* सूर्यास्त: शाम 06:56 बजे

* राहुकाल: दोपहर 12:19 से 01:56 तक

राहुकाल के समय कोई भी शुभ कार्य या खरीदारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह काल अशुभ माना जाता है। अतः नए कार्यों, यात्रा, खरीदारी या पूजन जैसे कार्यों के लिए राहुकाल से बचना चाहिए।

गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती

7 मई को विश्वविख्यात साहित्यकार, नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत के पहले गीतकार गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती भी मनाई जाएगी। उनके द्वारा रचित 'जन गण मन' भारत का राष्ट्रीय गान है। उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। टैगोर केवल साहित्य ही नहीं, बल्कि दर्शन, संगीत, चित्रकला और शिक्षा के क्षेत्र में भी महान योगदान के लिए याद किए जाते हैं। इस दिन देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया जाता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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