ज्येष्ठ माह के पहले बड़े मंगल पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में सुबह से लगी लंबी कतारें

ज्येष्ठ माह के पहले बड़े मंगल पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में सुबह से लगी लंबी कतारें
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ज्येष्ठ मास के पहले मंगलवार को लेकर पूरे उत्तर भारत में जबरदस्त धार्मिक उत्साह और श्रद्धा की लहर देखने को मिली। खासतौर पर अयोध्या स्थित सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी मंदिर में मंगलवार को सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गईं। जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया, वैसे-वैसे मंदिर प्रांगण भक्तों से ठसाठस भर गया, और हर तरफ जय श्रीराम और बजरंगबली के जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी।

हनुमानगढ़ी में भक्तों ने तेल चढ़ाया, सिंदूर अर्पित किया, लड्डू का भोग लगाया और संकटमोचन के चरणों में अपने जीवन के संकटों से मुक्ति की प्रार्थना की। मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस और स्वयंसेवकों की सहायता से दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित रूप से संचालित किया गया।

ज्येष्ठ मास की शुरुआत ही मंगल से: अद्भुत संयोग ने बढ़ाई बड़े मंगल की महिमा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवारों को विशेष रूप से ‘बड़ा मंगल’ कहा जाता है, जो हनुमान जी को समर्पित होता है। इस बार का बड़ा मंगल और भी विशेष बन गया है क्योंकि ज्येष्ठ मास की शुभ शुरुआत भी मंगलवार से ही हुई है। यह अद्वितीय संयोग कई वर्षों बाद बना है, जिससे इस माह और बड़े मंगल दोनों की आध्यात्मिक महत्ता में कई गुना वृद्धि हो गई है।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि जो भी भक्त इस महीने के प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा, उपवास और दर्शन करता है, उसके जीवन में चल रही संकटों की श्रृंखला टूटती है और मानसिक, पारिवारिक व भौतिक समस्याओं का समाधान स्वतः मिलने लगता है। विशेष रूप से संकटमोचन हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करना इस दिन सबसे अधिक फलदायक माना गया है।

हनुमान जी की आराधना से मिलती है शक्ति और समाधान

हनुमान भक्तों का विश्वास है कि बड़ा मंगल पर की गई पूजा और सेवा हनुमान जी को अतिप्रिय होती है। भक्तजन इस दिन विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ, सुंदरकांड का पाठ, दीपदान, और भजन-कीर्तन करते हैं। मंदिरों में प्रसाद वितरण, भंडारा, और दान-पुण्य जैसे पुण्यकर्म भी चलते रहते हैं, जिससे माहौल भक्ति और सेवा से ओतप्रोत हो जाता है।

हनुमानगढ़ी जैसे सिद्धपीठों में, लाखों की संख्या में भक्त केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि संकटों से मुक्ति, कार्यसिद्धि, और मानसिक शांति की कामना से आते हैं। उनका विश्वास है कि हनुमान जी की कृपा से जीवन में कोई भी बाधा स्थायी नहीं रह सकती।

आस्था और अध्यात्म का अद्वितीय संगम है बड़ा मंगल

बड़ा मंगल केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि यह उस विश्वास का प्रतीक है जो करोड़ों लोगों के मन में हनुमान जी के प्रति समर्पण के रूप में बसा है। हर मंगलवार को आने वाले भक्तों की भीड़ और उनका जोश यह बताता है कि सनातन संस्कृति में भक्ति का प्रवाह आज भी उतना ही प्रबल है जितना युगों पहले था।

इस पावन दिन पर यदि श्रद्धा, नियम और सेवा के साथ हनुमान जी की पूजा की जाए, तो जीवन में सुख, शांति और सफलता की नई राहें खुलती हैं। इसलिए आने वाले बड़े मंगलों पर भी इसी भाव और विश्वास के साथ संकटमोचन की शरण में जाना निश्चित रूप से फलदायक रहेगा।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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