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बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में थमी ऐतिहासिक राजनीतिक यात्रा

सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष से सत्ता तक का सफर तय करने वाली खालिदा जिया का 80 साल की उम्र में निधन, देश की राजनीति में युग का अंत

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में थमी ऐतिहासिक राजनीतिक यात्रा
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बांग्लादेश की राजनीति में दशकों तक निर्णायक भूमिका निभाने वाली और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार, 30 दिसंबर 2025 को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। सैन्य शासन के खिलाफ लोकतांत्रिक संघर्ष की प्रतीक रहीं खालिदा जिया लंबे समय से अस्वस्थ थीं और इलाज के दौर से गुजर रही थीं।


BNP ने की पुष्टि, सुबह 6 बजे ली अंतिम सांस

खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके निधन की पुष्टि की। पार्टी की ओर से साझा किए गए बयान में बताया गया कि उन्होंने सुबह करीब 6 बजे अंतिम सांस ली। हाल के दिनों में उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। उल्लेखनीय है कि हाल ही में उनके बेटे तारिक रहमान 17 वर्षों के निर्वासन के बाद लंदन से ढाका लौटे थे, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई थी।


1991 में रचा इतिहास, बनीं बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री

खालिदा जिया ने वर्ष 1991 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच दिया था। इसके साथ ही वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनके नेतृत्व में देश ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती दी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2001 से 2006 तक दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शासन संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश की राजनीति में सत्ता संघर्ष और वैचारिक टकराव चरम पर रहा।


शेख हसीना से दशकों चली राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

खालिदा जिया और अवामी लीग की नेता शेख हसीना के बीच चली लंबी राजनीतिक अदावत ने बांग्लादेश की राजनीति को दशकों तक दिशा दी। सत्ता और विपक्ष के इस संघर्ष ने न केवल राजनीतिक समीकरण बदले, बल्कि देश की नीतियों और शासन व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाला। दोनों नेताओं की प्रतिद्वंद्विता को बांग्लादेश की राजनीति की सबसे बड़ी धुरी माना जाता रहा है।


जिया उर रहमान की विरासत से राजनीति में प्रवेश

खालिदा जिया के पति जिया उर रहमान बांग्लादेश के एक प्रभावशाली सैन्य शासक और बाद में राष्ट्रपति रहे। उन्होंने 1977 से 1981 तक राष्ट्रपति पद संभाला और 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नींव रखी। 30 मई 1981 को एक सैन्य तख्तापलट में जिया उर रहमान की हत्या कर दी गई। पति की असामयिक मृत्यु के बाद ही खालिदा जिया ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की और धीरे-धीरे खुद को देश की सबसे प्रभावशाली नेताओं में स्थापित किया।


लोकतांत्रिक संघर्ष की प्रतीक के रूप में रहेंगी याद

खालिदा जिया को बांग्लादेश में लोकतंत्र, महिला नेतृत्व और सत्ता के खिलाफ संघर्ष की प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। उनका राजनीतिक जीवन विवादों, संघर्षों और सत्ता की लड़ाइयों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने देश की राजनीति में महिला नेतृत्व को एक नई पहचान दिलाई। उनके निधन से न केवल बीएनपी बल्कि पूरे बांग्लादेशी राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है।

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