चुनाव आयोग ने बताया 13.92 लाख फॉर्म अनकलेक्टेबल, ममता बोलीं बीजेपी की नींव हिला दूंगी
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के बाद बंगाल में विवाद गहराया ममता ने मौतों का आरोप लगाया और एसआईआर प्रक्रिया को राजनीतिक बताया

पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण एसआईआर को लेकर राजनीति उबाल पर है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी दी कि अब तक 13.92 लाख फॉर्म अनकलेक्टेबल पाए गए हैं। इसके कुछ देर बाद ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि एसआईआर के नाम पर उनके राज्य को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें निशाना बनाया गया तो वह पूरे देश में बीजेपी की नींव हिला देंगी।
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा की गई ताजा कार्रवाई ने सियासी हलचल को तेज कर दिया है। आयोग ने बताया कि एसआईआर प्रक्रिया में अब तक 13.92 लाख फॉर्म अनकलेक्टेबल कैटेगरी में मिले हैं। इनमें वे मतदाता शामिल हैं जिन्हें मृत, दो जगह नाम दर्ज होने, स्थायी रूप से बाहर जाने या लंबे समय से घर पर न मिलने जैसी वजहों से सूची से हटाने योग्य माना गया है। सोमवार तक यह संख्या 10.33 लाख थी और दो दिन में आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।
राज्य में एसआईआर के लिए 80 हजार से अधिक बीएलओ, आठ हजार सुपरवाइजर, तीन हजार एईआरओ और 294 ईआरओ तैनात हैं। प्रक्रिया के दौरान तीन बीएलओ की मौत होने पर टीएमसी ने आयोग पर गंभीर लापरवाही और धमकी का आरोप लगाया है। ममता बनर्जी ने दावा किया कि अधिकारियों को दबाव में रखा जा रहा है और कुछ को जेल और नौकरी खत्म होने की चेतावनी दी गई है।
इसी बीच विवाद को लेकर तूल बढ़ने पर चुनाव आयोग ने टीएमसी के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को 28 नवंबर को बैठक का समय दिया है। इसमें डेरेक ओ ब्रायन, महुआ मोइत्रा, कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले शामिल होंगे। टीएमसी ने आरोप लगाया है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में फेरबदल कर राज्य की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है। वहीं बीजेपी इसे घुसपैठियों और फर्जी वोटरों को हटाने की जरूरी प्रक्रिया बता रही है।
इस राजनीतिक टकराव के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को नदिया के कृष्णनगर में जनसभा की और आरोपों का स्वर और तेज कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें और बंगाल को एसआईआर की आड़ में निशाना बनाया जा रहा है। ममता ने दावा किया कि एसआईआर के चलते राज्य में 35 से 36 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई आत्महत्याएं भी हैं। उनका कहना है कि किसी भी हाल में किसी वास्तविक मतदाता को सूची से नहीं हटाया जा सकता और लोगों को डराने की कोशिश की जा रही है।
ममता ने यह भी आरोप लगाया कि मतुआ समुदाय के बीच नागरिकता के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र बांटे जा रहे हैं। उनके अनुसार ऐसे दस्तावेजों में लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से बांग्लादेशी बताया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी खुद को बांग्लादेशी बताकर सीएए के तहत आवेदन करेगा उसका नाम तुरंत मतदाता सूची से हट जाएगा और यह एक बड़ा धोखा है।
बीजेपी ने ममता के आरोपों को नकारते हुए कहा कि एसआईआर के जरिए फर्जी प्रविष्टियों को हटाया जा रहा है और ममता सरकार को इससे परेशानी हो रही है। पार्टी का तर्क है कि ममता सरकार घुसपैठियों पर निर्भर है और यही वजह है कि वह चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठा रही हैं।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर यह विवाद आने वाले दिनों में और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है और राज्य की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।
