गणेश जी को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ाते? जानिए इस प्रचलित धारणा का रहस्य और इसका आध्यात्मिक पक्ष

गणेश जी को दूर्वा क्यों नहीं चढ़ाते? जानिए इस प्रचलित धारणा का रहस्य और इसका आध्यात्मिक पक्ष
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हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना गया है। गणेश जी की पूजा के समय विशेष प्रकार के प्रसाद और सामग्रियों का उपयोग होता है, जिनमें से दूर्वा घास (दूब) का विशेष स्थान है। आमतौर पर मान्यता है कि गणेश जी को दूर्वा चढ़ाना अत्यंत शुभ और फलदायक होता है।

हालांकि हाल के वर्षों में कुछ जगहों पर यह भ्रांति फैल गई है कि गणेश जी को दूब नहीं चढ़ाई जानी चाहिए। इस लेख में हम इस भ्रम की वास्तविकता, शास्त्रीय पक्ष और परंपरागत मान्यता की विस्तार से चर्चा करेंगे।

दूर्वा घास का आध्यात्मिक महत्व: गणेश जी की प्रिय वस्तु

दूर्वा घास, जिसे 'दूब' भी कहा जाता है, न केवल आयुर्वेदिक दृष्टि से गुणकारी है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत पवित्र मानी जाती है। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय हैं। “दूर्वांकुरैः समायुक्तं तैलाभ्यक्तं शुभप्रदम्” जैसे मंत्रों में दूर्वा के उपयोग की पुष्टि मिलती है।

मान्यता है कि गणपति को 21 दूर्वा के अंकुर चढ़ाने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न शांत होते हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह भी कहा गया है कि दूर्वा चढ़ाने से बुद्धि तीव्र होती है और रोग, शोक, बाधाएं दूर होती हैं।

ग़लतफहमी की जड़: कहां से फैली यह धारणा कि गणेश को दूर्वा नहीं चढ़ती?

कुछ लोगों में यह भ्रम है कि दूर्वा शनि से संबंधित वस्तु मानी जाती है और इसे गणेश पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए। इस धारणा का कोई शास्त्रीय या पुराणिक आधार नहीं है। दरअसल, यह एक अविज्ञता आधारित मिथक है जो समय के साथ जनमानस में फैल गया।

इसके विपरीत, पुराणों में बताया गया है कि एक समय दैत्य अन्हलासुर का वध गणेश जी ने किया था। उसके शरीर से जो विष निकला, वह दूर्वा से शांत हुआ। तब से दूर्वा गणेश जी को प्रिय हो गई। इस कथा के आधार पर ही यह परंपरा शुरू हुई कि गणेश पूजन में दूर्वा आवश्यक मानी जाती है।

गणेश पूजन में दूर्वा चढ़ाने के नियम: क्या ध्यान रखें?

हालांकि दूर्वा का प्रयोग पूजन में वर्जित नहीं है, परंतु कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:

1. दूर्वा ताजी और तीन या पांच ग्रंथियों वाली होनी चाहिए।

2. पूजा से पहले उसे गंगाजल या शुद्ध जल से धो लेना चाहिए।

3. दूर्वा को हमेशा दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए।

4. 21 दूर्वा चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

यदि कोई दूर्वा मुरझाई या खराब स्थिति में हो, तो उसे पूजन में नहीं चढ़ाना चाहिए। शायद इसी प्रकार के नियमों को लेकर कुछ स्थानों पर भ्रम पैदा हो गया।

दूर्वा नहीं, दूषित जानकारी से करें बचाव

गणेश जी को दूर्वा न चढ़ाने की बात पूरी तरह भ्रामक और आधारहीन है। शास्त्रों, पुराणों और परंपरा सभी में दूर्वा को गणेश जी की आराधना में सबसे प्रिय वस्तु बताया गया है। इस प्रकार की गलत जानकारी से बचना चाहिए और सच्चे श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।

दूर्वा का प्रयोग न केवल धार्मिक रूप से शुभ है, बल्कि यह एक प्राकृतिक प्रतीक भी है – हरियाली, जीवन, शुद्धता और निरंतरता का। गणपति पूजन में इसका प्रयोग निश्चित रूप से फलदायक और शुभ माना गया है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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