गंगा दशहरा पर करें यह पुण्य कार्य, पितरों को मिलेगा मोक्ष, प्रेत बाधाओं से मिलेगी मुक्ति

हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन और मोक्षदायी माना जाता है। गंगा दशहरा पर गंगा स्नान, दान और विशेष पूजा-अर्चना करने से न केवल व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि पूर्वजों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
इस साल गंगा दशहरा शुक्रवार, 6 जून 2025 को पड़ रहा है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी होता है जो अपने पितरों की आत्मा की शांति और प्रेत बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से ज्ञात और अज्ञात पितरों का उद्धार संभव होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
गंगा दशहरा पर पितृ शांति के लिए करें ये कार्य
गंगा दशहरा पर प्रातः काल उठकर गंगाजल या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पितरों के नाम से तिल, जल, दूध और काले तिल अर्पित करते हुए तर्पण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को शांति मिलती है और वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
साथ ही इस दिन किसी भूखे को भोजन कराना, ब्राह्मण को वस्त्र और दक्षिणा देना अथवा किसी जरुरतमंद को अन्न और जल दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। इस दिन का हर एक नेक कार्य न केवल इस जन्म के कष्टों को कम करता है, बल्कि पितृ ऋण से भी मुक्ति दिलाता है।
प्रेत बाधा और पितृ दोष से मुक्ति का दुर्लभ संयोग
गंगा दशहरा के दिन किए गए कर्म विशेष रूप से प्रेत बाधा, पितृ दोष और आत्मिक अशांति जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक माने जाते हैं। जिन परिवारों में बार-बार अशुभ घटनाएं होती हैं या बाधाएं बनी रहती हैं, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करवानी चाहिए। घर में गंगाजल का छिड़काव करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ अथवा ‘ॐ गं गंगे नमः’ मंत्र का जाप करें।
गंगा दशहरा का यह पावन पर्व आत्मा की शुद्धि, पितरों की शांति और प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए एक दुर्लभ अवसर है। धार्मिक ग्रंथों में भी इसका वर्णन है कि इस दिन किए गए कार्यों का प्रभाव दस गुना अधिक होता है। अतः इसे साधारण दिन न मानकर श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करने का प्रयास करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।