घर के मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल क्यों रखने चाहिए? जानिए धार्मिक, वैज्ञानिक और वास्तु से जुड़ी मान्यताएं

घर के मुख्य द्वार पर जूते-चप्पल क्यों रखने चाहिए? जानिए धार्मिक, वैज्ञानिक और वास्तु से जुड़ी मान्यताएं
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भारतीय संस्कृति में हर कार्य के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या वास्तु शास्त्र से जुड़ी मान्यता होती है। ऐसा ही एक विषय है—जूते-चप्पल घर के मुख्य द्वार पर क्यों उतारने चाहिए? यह परंपरा सिर्फ एक सामाजिक आदत नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, ऊर्जा संतुलन और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। चलिए जानते हैं विस्तार से कि आखिर क्यों कहा जाता है कि घर के अंदर जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए और उन्हें मुख्य द्वार पर ही उतारना चाहिए।

वास्तु शास्त्र का मत: नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है यह नियम

वास्तु शास्त्र के अनुसार, जूते-चप्पल बाहर छोड़ना घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। जब हम बाहर से आते हैं, तो हमारे साथ धूल, गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवेश कर सकती है। यह ऊर्जा हमारे घर के वातावरण को दूषित कर सकती है और मानसिक अशांति, बीमारियों व क्लेश का कारण बन सकती है। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जूते-चप्पल मुख्य द्वार पर व्यवस्थित रूप से रखने चाहिए, जिससे घर में शुद्धता और शांति बनी रहे।

धार्मिक दृष्टिकोण: पवित्रता और सम्मान का प्रतीक

भारतीय धर्मग्रंथों में घर को मंदिर के समान माना गया है। जैसे हम मंदिर में प्रवेश से पूर्व अपने पैर धोते हैं और जूते बाहर उतारते हैं, वैसे ही घर में प्रवेश करते समय भी यही नियम अपनाना चाहिए। घर में देवताओं का वास माना जाता है, और वहां गंदे या जूते पहने प्रवेश करना अपवित्रता फैलाने जैसा है। यह सम्मान का भी प्रतीक है—जिस प्रकार हम किसी बड़े या गुरुजन के सामने जूते पहनकर नहीं जाते, वैसे ही अपने घर की आत्मा के सामने भी शुद्धता के साथ प्रस्तुत होना चाहिए।

वैज्ञानिक कारण: रोगों से सुरक्षा और स्वच्छता

स्वास्थ्य विज्ञान के अनुसार, जूते-चप्पल हमारे पैरों के नीचे लगे बैक्टीरिया, वायरस और केमिकल्स को घर तक ले आते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणु फर्श पर फैल जाते हैं और विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों या पालतू जानवरों के लिए खतरा बन सकते हैं। जूतों के साथ आने वाली गंदगी से फ्लू, एलर्जी और अन्य संक्रमण फैल सकते हैं। यदि इन्हें मुख्य द्वार पर ही रख दिया जाए, तो घर की स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित रहते हैं।

नियमित आदत से बनता है अनुशासन और सौंदर्य

जूतों को मुख्य द्वार पर सलीके से रखने से न केवल स्वच्छता बनी रहती है, बल्कि यह एक अनुशासित जीवनशैली को भी दर्शाता है। इसके लिए एक सुंदर शू-रैक या स्टैंड की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे घर का सौंदर्य भी बना रहता है और कोई अव्यवस्था भी नहीं दिखती। यह नियम बच्चों में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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