देशभर के शहरों के लिए सबक: मुंबई HC ने लो-हैंगिंग केबल्स से मंडरा रहे खतरे के लिए ऑपरेटरों को ठहराया जिम्मेदार
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि खराब और लटकी हुई केबल्स से होने वाले किसी भी हादसे की पूरी जिम्मेदारी ऑपरेटरों की होगी

देशभर में शहरों की सड़कों और गलियों में लटकते और क्षतिग्रस्त केबल्स से आम जनता परेशान है। इसी समस्या को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय ने गोवा में महत्वपूर्ण आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि केबल ऑपरेटरों को लो-हैंगिंग और खराब केबल तारों के कारण होने वाली किसी भी दुर्घटना या नुकसान की पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।
यह आदेश उस समय आया जब ऑपरेटरों ने बिजली विभाग द्वारा चलाए जा रहे अनधिकृत या खतरनाक केबल हटाने के अभियान पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी। अदालत ने ऑपरेटरों की याचिका खारिज कर दी और स्पष्ट किया कि सुरक्षा कारणों से केबल हटाने का काम जारी रहेगा।
गोवा विद्युत विभाग के कार्यकारी अभियंता कशनाथ शेट्ये के अनुसार, अदालत ने केवल तीन केबल प्रति पोल की अनुमति दी है और सजावटी पोलों पर किसी भी प्रकार के केबल की इजाजत नहीं होगी। यह व्यवस्था अस्थायी है, जब तक कि केबल लाइनें भूमिगत नहीं कर दी जातीं। शेट्ये ने बताया कि अब तक ऑपरेटरों से कोई लिखित पुष्टि नहीं मिली है कि वे किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी लेंगे।
पिछले साल जनवरी में भी गोवा केबल टीवी नेटवर्किंग और सेवा प्रदाता संघ ने अनधिकृत केबल हटाने पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया। बिजली विभाग ने उस समय दावा किया था कि संघ के सदस्य लगभग 50 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान में पिछड़ रहे हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि अब सुरक्षा कारणों से अभियान जारी रहेगा। यह आदेश पूरे देश के लिए उदाहरण बन सकता है, क्योंकि कई शहरों में लटके हुए और खराब केबल्स दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि सड़क सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा के लिए जरूरी है। अब ऑपरेटरों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति जवाबदेह रहें और किसी भी हादसे की स्थिति में जिम्मेदारी स्वीकार करें।
यह आदेश उन लाखों नागरिकों के लिए राहत की खबर है, जो प्रतिदिन लटके केबल्स और अराजक तारों से खतरे में रहते हैं। अगले सुनवाई का दिन 25 नवंबर तय किया गया है, जब अदालत आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगी।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।
