रांची से शुरू हुई शिक्षा क्रांति, हेमंत सरकार कराएगी प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी
रांची से शुरू हुई सरकारी कोचिंग की पहल, आदिवासी विद्यार्थियों को मिलेगा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का मंच

झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार को शुरू हुई एक पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था में एक अहम मोड़ के रूप में देखी जा रही है. हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी केवल बड़े शहरों और निजी संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग और मेडिकल कोचिंग संस्थान का उद्घाटन किया. इस संस्थान में 300 अनुसूचित जनजाति के छात्र छात्राओं को जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी. यह पहल अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से की गई है.
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि इसी मॉडल पर राज्य में जेपीएससी, यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे और मैनेजमेंट की तैयारी के लिए भी सरकारी कोचिंग संस्थान खोले जाएंगे. उनका कहना था कि झारखंड के विद्यार्थियों को अब अपने सपनों के लिए राज्य से बाहर जाने की मजबूरी नहीं होगी. उच्चस्तरीय कोचिंग सुविधाएं अब रांची में ही उपलब्ध कराई जाएंगी.
मुख्यमंत्री ने इस संस्थान को केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया. उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को एक दूसरे के साथ साझा करें, ताकि झारखंड की विविध पहचान और मजबूत हो सके.
हेमंत सोरेन ने कहा कि शिक्षा को वे आत्मनिर्भरता और सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम मानते हैं. इसी सोच के तहत राज्य में कई योजनाएं लागू की गई हैं. सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के माध्यम से किशोरियों को शिक्षा के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है.
प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों को आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है. राज्य में अब तक 80 उत्कृष्ट विद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं और 100 नए स्कूलों की प्रक्रिया जारी है.
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत आदिवासी और मूलवासी छात्र छात्राओं को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए पूरी सरकारी सहायता दी जा रही है. वहीं गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना के जरिए विद्यार्थी 15 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण ले सकते हैं, जिसे नौकरी मिलने के बाद आसान किस्तों में चुकाने की व्यवस्था है.
सरकार का मानना है कि इन प्रयासों से आने वाले वर्षों में झारखंड शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है. यह पहल उन विद्यार्थियों के लिए खास मायने रखती है, जिनके सपने अब तक संसाधनों की कमी के कारण अधूरे रह जाते थे.
