झारखंड में एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए सख्त नियम: सरकारी कॉलेज से पढ़ाई के बाद पांच साल की अनिवार्य सेवा
सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पास डॉक्टरों को राज्य के अस्पतालों में देना होगा लंबा सेवाकाल

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने की पहल
झारखंड सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में बड़ा और अहम फैसला लिया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने घोषणा की है कि झारखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टरों को अब अनिवार्य रूप से राज्य के सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होगी। इस नई व्यवस्था के तहत डॉक्टरों को कम से कम पांच वर्षों तक सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में कार्य करना अनिवार्य होगा। सरकार का मानना है कि इस कदम से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लंबे समय से चली आ रही डॉक्टरों की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।
सरकारी संसाधनों से पढ़ाई, सेवा देना भी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की शिक्षा पर राज्य सरकार भारी राशि खर्च करती है। ऐसे में यह अपेक्षित है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर राज्य की जनता को अपनी सेवाएं दें। उन्होंने कहा कि सरकारी संसाधनों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद निजी क्षेत्र में सीधे चले जाना उचित नहीं है, खासकर तब जब सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। इस नीति का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना है, बल्कि आम लोगों को सुलभ और बेहतर इलाज उपलब्ध कराना भी है।
ग्रामीण और पिछड़े इलाकों पर रहेगा विशेष फोकस
सरकार की इस योजना का मुख्य फोकस ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों पर रहेगा, जहां आज भी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अनिवार्य सेवा अवधि के दौरान डॉक्टरों की तैनाती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में की जाएगी। इससे न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूती मिलेगी।
नियमों के उल्लंघन पर हो सकती है सख्त कार्रवाई
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यदि कोई डॉक्टर इस अनिवार्य सेवा शर्त का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें आर्थिक दंड से लेकर डिग्री से जुड़े नियमों तक शामिल हो सकते हैं। सरकार जल्द ही इस नीति से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश और अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है, ताकि छात्रों और मेडिकल कॉलेजों को किसी तरह की असमंजस की स्थिति का सामना न करना पड़े।
स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला झारखंड की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि इसे प्रभावी तरीके से लागू किया गया, तो राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ेगी और आम नागरिकों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। फिलहाल, इस फैसले को लेकर मेडिकल छात्रों और स्वास्थ्य जगत की प्रतिक्रियाओं पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
