निजी अस्पतालों में नहीं चलेगी मनमानी, झारखंड सरकार सख्ती के मूड में
मरीज का शव रोकने से लेकर मनमाने आईसीयू बिल तक अब सरकार सीधे कार्रवाई करेगी, अस्पतालों को साफ संदेश दे दिया गया हैl

रांची में गुरुवार को हुई एक अहम स्वास्थ्य वर्कशॉप में सरकार ने राज्य के अस्पतालों को साफ संदेश दे दिया कि अब मनमाना व्यवहार नहीं चलेगा। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना और डिजिटल मिशन के तहत हुए इस कार्यक्रम में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने मंच से दो टूक कहा कि मरीज की मौत के बाद शव रोकने जैसी अमानवीय हरकत करने वाले किसी भी निजी अस्पताल को तुरंत सील कर दिया जाएगा। बात सिर्फ चेतावनी की नहीं, सरकार इसे सख्त कार्रवाई की तरह लागू करने जा रही है।
डॉ इरफान ने कहा कि अस्पताल चलाना सिर्फ कारोबार नहीं है बल्कि सेवा का अवसर है। राज्य के नागरिकों को सरकार 15 लाख तक की स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि अब सभी आयुष्मान कार्डधारियों को डिजिटल कार्ड मिलेगा ताकि लंबी लाइन, पेपरवर्क और अनावश्यक अड़चनें खत्म हों।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक और बड़ी समस्या की ओर इशारा किया। अक्सर दुर्घटना पीड़ितों से कहा जाता है कि उनका इलाज कार्ड कवरेज में नहीं है। मंत्री ने साफ निर्देश दिया कि किसी भी जरूरतमंद को वापस भेजने की गुंजाइश अब नहीं बचेगी। अस्पतालों को प्रक्रिया सरल करनी होगी और पारदर्शिता दिखानी होगी।
वर्कशॉप में एक और घोषणा हुई जिसे आम लोग लंबे समय से मांग रहे थे। राज्य सरकार आईसीयू, एनआईसीयू और सीसीयू के रेट तय करने जा रही है ताकि निजी अस्पतालों की मनमानी बिलिंग पर रोक लग सके। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप यह कदम गरीब परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।
सभी जिला और रेफरल अस्पतालों में जल्द सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा उपलब्ध कराने का ऐलान भी किया गया। कार्यक्रम में यह जानकारी भी सामने आई कि झारखंड में करीब 70 लाख लोग बीमा सुरक्षा के दायरे में हैं और 80 प्रतिशत से अधिक आबादी स्वास्थ्य योजनाओं से लाभ ले रही है। रांची सदर अस्पताल से लेकर कोडरमा और निजी अस्पतालों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया।
वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने डिजिटल सिस्टम, फ्रॉड रोकथाम और हेल्थ डेटा विश्लेषण पर प्रेजेंटेशन दिए। अधिकारियों ने साफ कहा कि अबुआ योजना राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नई दिशा खोल रही है और आने वाले महीनों में इसका असर हर परिवार तक दिखेगा।
अगर सिस्टम ऐसे ही सख्त और पारदर्शी रूप में चलता रहा तो झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था सच में एक नया स्तर छू सकती है।
