युवाओं की खास पसंद बनी खादी, महोत्सव में 3.20 करोड़ की रिकॉर्ड बिक्री
गोमतीनगर में आयोजित 10 दिवसीय खादी महोत्सव में इस बार बिक्री ने नया इतिहास बनाया और पहली बार युवाओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी चर्चा का विषय बनी.

राजधानी लखनऊ में आयोजित खादी महोत्सव इस बार कुछ अलग ही तस्वीर लेकर सामने आया. गोमतीनगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में 21 से 30 नवंबर तक चले इस आयोजन में रोजाना बढ़ती भीड़ ने आयोजकों को भी हैरान कर दिया. आखिरी दिन तो ऐसी स्थिति रही कि कई स्टॉल देर शाम तक फुल रहे. नतीजा यह हुआ कि कुल बिक्री सीधे 3.20 करोड़ रुपये तक जा पहुंची. यह आंकड़ा पिछले वर्ष दर्ज 2.25 करोड़ की तुलना में लगभग 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाता है. खादी महोत्सव में प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने भी खरीदारी की.
इस 10 दिवसीय महोत्सव की थीम धागे से धरोहर तक रखी गई थी और इस थीम की झलक हर स्टॉल पर दिखाई दी. खादी वस्त्रों से लेकर जूट शिल्प, हर्बल उत्पादों से लेकर माटी कला तक, खरीदारों ने हर सेक्शन में खास दिलचस्पी दिखायी. दिलचस्प बात यह रही कि युवा खरीदारों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक दिखी. कई व्यापारी इस बदलाव को खादी की नई पहचान मान रहे हैं.
खादी महोत्सव में कुल 160 उद्यमियों ने इस मेले में हिस्सा लिया. इनमें 32 खादी संस्थान, 120 ग्रामोद्योग इकाइयां और 8 माटी कला से जुड़े उद्यमी शामिल रहे. लखनऊ, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी, गोरखपुर और आसपास के जिलों से आए कारीगरों ने बताया कि इस बार न केवल भीड़ अधिक थी बल्कि खरीदारी को लेकर भी लोगों में ज्यादा उत्साह देखा गया. कुछ कारीगरों का कहना है कि युवा ग्राहकों का बढ़ता रुझान उनकी बिक्री का मुख्य कारण बना.
स्वराज्य आश्रम के प्रेम कुमार, ग्राम सेवा संस्थान के सतेन्द्र कुमार, जूट आर्टिज़न्स की अंजलि सिंह और बाराबंकी के प्रेमचन्द्र ने माना कि इस बार खरीदारों की पसंद काफी साफ थी. लोग गुणवत्ता को लेकर जागरूक दिखे और तैयार उत्पादों में आधुनिक डिज़ाइन की मांग बढ़ी. कई उद्यमियों के अनुसार यह संकेत है कि आने वाले वर्षों में खादी का बाजार और भी व्यापक हो सकता है. पूरे आयोजन के दौरान छात्रों, महिलाओं और परिवारों की लगातार मौजूदगी रही. आगंतुकों का कहना था कि एक ही स्थान पर इतने विविध और भरोसेमंद उत्पाद मिलना दुर्लभ अनुभव जैसा था.
समापन कार्यक्रम में बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिशिर ने आयोजन टीम और सभी उद्यमियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि खादी अब सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत और नए उपभोक्ता की पसंद दोनों का मिलाजुला रूप बन चुकी है. महोत्सव में खादी की बढ़ती लोकप्रियता और इस बार की अभूतपूर्व बिक्री संकेत दे रही थी कि यह आयोजन आने वाले वर्षों में और मजबूत होगा और शायद इस महोत्सव से सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यही उभर कर सामने आया.
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