मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 2025: इस बार 11 नवंबर को रखें व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 2025: इस बार 11 नवंबर को रखें व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 11 नवंबर 2025, दिन मंगलवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और श्रीकृष्ण की आराधना करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।


कब है मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि का आरंभ 10 नवंबर की रात से होगा और समापन 11 नवंबर की देर रात तक रहेगा। उदयातिथि के अनुसार व्रत 11 नवंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण का व्रत, उपवास और पूजन करते हैं। श्रद्धालु व्रत के दिन स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत से स्नान कराते हैं और उनके बाल स्वरूप की पूजा करते हैं।


व्रत और पूजा विधि

मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत रखने वाले भक्त प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। पूजा के समय तुलसीदल, पीले पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। दिनभर उपवास के बाद रात में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय आरती और भजन-कीर्तन किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।


धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष मास की कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन व्रत रखता है, उसके जीवन से दुख, पाप और बाधाएं दूर होती हैं। इस व्रत से मनुष्य को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होता है जो अपने जीवन में शांति और समृद्धि की इच्छा रखते हैं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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