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मिर्जापुर: 'काला जादू' के वहम ने बहाया दोस्तों का खून, हत्या के बाद आरोपी ने भी दी जान

10 साल की दोस्ती, पड़ोसी होने का रिश्ता और एक ही जंगल में बसेरा, लेकिन 'भूत-प्रेत' के शक ने सब कुछ खत्म कर दिया। चुनार के जंगलों में हुई इस वारदात की इनसाइड स्टोरी।

मिर्जापुर: काला जादू के वहम ने बहाया दोस्तों का खून, हत्या के बाद आरोपी ने भी दी जान
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मिर्जापुर: अंधविश्वास की जड़ें जब रिश्तों के बीच पनपती हैं, तो उसका अंजाम अक्सर खूनी होता है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चुनार थाना क्षेत्र में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने यह साबित कर दिया है कि कैसे 'भूत-प्रेत' का निराधार शक 10 साल पुरानी गहरी दोस्ती को दुश्मनी और अंततः मौत में बदल सकता है।


मंगलवार की सुबह लहोरा गांव के जंगलों में जो हुआ, वह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज में फैली कुरीतियों का एक भयावह चेहरा है। यहां एक व्यक्ति ने अपने ही जिगरी दोस्त की गर्दन काटकर हत्या कर दी और फिर आत्मग्लानि या पुलिस के डर से उसी हथियार से खुद का गला रेतकर आत्महत्या कर ली।


10 साल का याराना और शक का बीज

पुलिस जांच में सामने आया है कि मृतक प्रेमलाल (51) और आरोपी कंतलाल (39) दोनों ही मूल निवासी नहीं थे। प्रेमलाल सोनभद्र और कंतलाल झारखंड से आकर यहां बसे थे। दोनों ने वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर खेती-बारी शुरू की थी और पिछले एक दशक से पड़ोसी के रूप में रह रहे थे। दोनों परिवारों के बीच घनिष्ठ संबंध थे।


रिश्तों में खटास तब आई जब कंतलाल के घर में कुछ परेशानियां शुरू हुईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंतलाल की पत्नी ने अपने पति के दिमाग में यह बात बिठा दी कि उनका पड़ोसी और दोस्त प्रेमलाल उन पर 'भूत-प्रेत' या काला जादू कर रहा है। पत्नी की लगातार शिकायतों ने कंतलाल के मन में शक का बीज बो दिया। हालांकि, जब कंतलाल ने इस बारे में प्रेमलाल से बात की थी, तो उसने साफ इनकार किया था, लेकिन शक, हकीकत पर हावी हो गया।


मंगलवार की सुबह

मंगलवार सुबह करीब 5 बजे, जब प्रेमलाल अपनी दिनचर्या के तहत घर से 100 मीटर दूर झरी नगरी नाले के पास शौच के लिए गए, तो कंतलाल वहां पहले से घात लगाकर बैठा था। जैसे ही प्रेमलाल बैठे, कंतलाल ने धारदार हथियार से उन पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। गर्दन और शरीर पर हुए गहरे घावों के कारण प्रेमलाल की मौके पर ही मौत हो गई।


हत्या के बाद आत्मग्लानि और आत्महत्या

इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने के बाद कंतलाल वहां से भागा, लेकिन शायद दोस्त की हत्या का बोझ या कानून का डर वह सहन नहीं कर सका। घटनास्थल से महज 400 मीटर की दूरी पर जाकर उसने उसी रक्तरंजित हथियार से अपनी गर्दन पर वार कर आत्महत्या कर ली। जंगल में दो दोस्तों की लाशें थोड़ी दूरी पर पड़ी मिलीं।


घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक (नक्सल) मनीष कुमार मिश्रा और क्षेत्राधिकारी चुनार मंजिरी राव पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। फॉरेंसिक जांच के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मृतक प्रेमलाल के बेटे गुलाब की तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।


इस घटना से गंभीर सवाल उठा है कि 21वीं सदी में भी समाज के एक बड़े हिस्से में अंधविश्वास और ओझा-सोखा के चक्कर में हंसते-खेलते परिवार कैसे बर्बाद हो रहे हैं। पुलिस अब इस पहलू की भी जांच कर रही है कि क्या इस उकसावे के पीछे कोई बाहरी व्यक्ति या ओझा भी शामिल था।

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