मिथुन संक्रांति 2025: सूर्य के राशि परिवर्तन से खुले पितृदोष से मुक्ति के द्वार, आज करें ये उपाय

सूर्य का मिथुन राशि में आगमन: पितृदोष निवारण के लिए शुभ संयोग
आज का दिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि सूर्य देव अपने वार्षिक भ्रमण के क्रम में वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इस खगोलीय घटना को मिथुन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ मास की इस संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल मौसम में बदलाव लाती है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसे पवित्र और शुभ माना गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, संक्रांति का समय सूर्य देव की ऊर्जा से भरपूर होता है और यह आत्मिक शुद्धि, साधना और पूर्वजों की कृपा प्राप्त करने के लिए आदर्श माना जाता है। खासतौर पर जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष की स्थिति बनी हुई है, उनके लिए यह समय अत्यंत फलदायक हो सकता है, बशर्ते वे इस दिन कुछ विशेष धार्मिक उपाय करें।
मिथुन संक्रांति पर क्यों करें पितृदोष निवारण उपाय?
पितृदोष को वैदिक ज्योतिष में अत्यंत गंभीर दोष माना गया है, जो पूर्वजों की आत्मा की अशांति या उनके अधूरे कार्यों के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में रुकावटें, आर्थिक तंगी, संतान से जुड़ी समस्याएं, वैवाहिक जीवन में तनाव और मानसिक बेचैनी का कारण बनता है।
माना जाता है कि सूर्य जब मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो यह पूर्वजों से जुड़ी शक्तियों को जाग्रत करने का अवसर होता है। इस दिन जलदान, तिल तर्पण, श्राद्ध कर्म और पितृ शांति के उपाय करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं कम होती हैं।
आज करें ये विशेष उपाय, मिल सकती है पितृ कृपा
यदि आप पितृदोष से ग्रस्त हैं या पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करना चाहते हैं, तो आज के दिन निम्नलिखित उपाय करना लाभदायक हो सकता है। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें और पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करें। अपने पितरों का स्मरण करते हुए काले तिल, अक्षत, सफेद फूल और जल से तर्पण करें।
इसके अलावा जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें। गौमाता को हरा चारा खिलाना और किसी ब्राह्मण को पितृ भोज करवाना भी पुण्यफल देता है। संध्या समय दीपदान कर 'ॐ पितृभ्यः नमः' का जाप करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मिथुन संक्रांति केवल सूर्य के राशि परिवर्तन का योग नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, पितृ भक्ति और जीवन की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने का दुर्लभ अवसर भी है। यदि आप लंबे समय से जीवन में किसी अनजाने कारण से परेशान हैं, तो आज का दिन उस बोझ को हल्का करने का एक आध्यात्मिक द्वार है। पितृदोष निवारण के इन सरल उपायों को अपनाकर न केवल पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।