शनिवार को शनि देव को करें प्रसन्न इन सरल उपायों से, जानें कब और कैसे चढ़ाएं तेल, और क्यों नहीं देखें उनकी आंखों में

हिन्दू धर्म में शनिवार का दिन शनि देव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है, जो हर जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अगर कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो शनि देव उसे ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं, लेकिन अगर कोई अधर्म की राह पर चलता है तो उन्हें दंडित भी करते हैं।
शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार को विशेष पूजन, व्रत और दान का विधान है। लेकिन शनि देव को प्रसन्न करने के कुछ ऐसे खास नियम भी हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है, अन्यथा लाभ की जगह नुकसान भी हो सकता है। आइए जानते हैं शनिवार को शनि देव की पूजा का सही तरीका, तेल चढ़ाने की विधि और उनसे जुड़ी खास मान्यताएं।
शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार को करें ये सरल उपाय
शनिवार को किए गए कुछ छोटे-छोटे उपाय जीवन की कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं। अगर आप शनि की दशा, साढ़े साती या ढैय्या से प्रभावित हैं तो निम्न उपाय बेहद लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं:
1. शनि मंदिर में जाकर सरसों का तेल चढ़ाएं। तेल चढ़ाने से शनि दोष में कमी आती है और ग्रह अनुकूल बनने लगते हैं।
2. शनिदेव के समक्ष काले तिल, काली उड़द, नीला वस्त्र, और लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
3. शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का 108 बार जाप करें। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
4. सप्ताह में कम से कम एक बार किसी अंधे, गरीब या विकलांग को भोजन और वस्त्र दान करें।
शनि देव को कब और कैसे चढ़ाएं तेल, कौन सा तेल चढ़ाना श्रेष्ठ?
शनि देव को तेल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। यह केवल धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि एक गूढ़ ज्योतिषीय और आध्यात्मिक प्रक्रिया है।
* सर्वोत्तम समय: शनिवार को सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले, या शनि अमावस्या, शनि जयंती जैसे विशेष दिनों पर।
* कौन सा तेल चढ़ाएं: प्रायः सरसों का तेल या तिल का तेल सबसे उत्तम माना गया है। ये दोनों तेल शनि के स्वभाव के अनुसार शांतिदायक और शुद्ध माने जाते हैं।
* विधि: तेल को एक लोहे की कटोरी में भरें और उसमें अपना चेहरा देखकर शनिदेव के चरणों में अर्पण करें। यह प्रक्रिया नकारात्मकता को बाहर निकालने की प्रतीक मानी जाती है।
शनि देव की आंखों में देखने की मनाही क्यों है? जानिए इसके पीछे का आध्यात्मिक रहस्य
शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शनि देव की आंखों में सीधे देखने से बचना चाहिए। इसका मुख्य कारण यह है कि शनि देव की दृष्टि अत्यंत प्रभावशाली और तप्त है। वह अपने न्याय की दृष्टि से प्रत्येक जीव के कर्मों का मूल्यांकन करते हैं।
यह भी कहा जाता है कि उनकी दृष्टि अगर क्रोध या असंतुलन में पड़ी तो व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक कष्ट झेलने पड़ सकते हैं। यही कारण है कि शनि की पूजा करते समय नज़रें नीचे रखें और केवल चरणों की ओर देखें। इससे नम्रता और समर्पण की भावना बनी रहती है, जो शनिदेव को प्रिय है।
शनिदेव की पूजा में रखें ये विशेष सावधानियां
1. शनिवार को बाल न कटवाएं और न ही नाखून।
2. मांस, शराब, और वाद-विवाद से पूर्ण रूप से बचें।
3. किसी गरीब, मजदूर या बूढ़े व्यक्ति को अपशब्द न कहें, बल्कि सेवा करें।
शनि देव केवल दंड के देवता नहीं, बल्कि न्यायप्रिय और करुणामय देवता भी हैं। यदि आप सचाई, अनुशासन और सेवा के मार्ग पर चलते हैं, तो उनकी कृपा से जीवन में स्थायित्व, सफलता और शांति आती है। शनिवार को विशेष नियमों के साथ की गई पूजा, तेल अर्पण और दान निश्चित ही शनि की बाधाओं से मुक्ति दिला सकता है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।