कर्म के न्यायाधीश शनिदेव का जन्मदिन 27 मई को, जानें क्यों खास होता है शनि जयंती का पर्व

कर्म के न्यायाधीश शनिदेव का जन्मदिन 27 मई को, जानें क्यों खास होता है शनि जयंती का पर्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार शनि जयंती का पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में पूजा जाता है, जो भगवान सूर्य और छाया देवी के पुत्र हैं। शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफलदाता कहा गया है, जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर दंड या पुरस्कार प्रदान करते हैं। वर्ष 2025 में शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होगा।

कौन हैं शनिदेव? जानें उनकी शक्ति और भूमिका

भगवान शनि को न्याय का अधिष्ठाता और कर्मों का सटीक लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना गया है। वह ही एकमात्र ऐसे देव हैं जो न्यायप्रिय और तटस्थ दृष्टि से प्रत्येक जीव के भूत, वर्तमान और भविष्य के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। उनकी दृष्टि से बड़े-बड़े देवता तक विचलित हो जाते हैं। शनि को नवग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है और उनकी शुभ दृष्टि से व्यक्ति को उन्नति, समृद्धि और स्थिरता मिलती है, जबकि उनकी वक्र दृष्टि जीवन में कठिनाइयों का कारण बन सकती है।

शनि जयंती का ज्योतिषीय महत्व

शनि ग्रह को न्याय और व्यवस्था का ग्रह माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि महादशा चल रही हो, उनके लिए शनि जयंती पर की गई पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की आराधना करने से जीवन में चल रही रुकावटें कम होती हैं और भाग्य में सुधार आता है। साथ ही, यह दिन कर्म सुधार और आत्मचिंतन के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।

शनि जयंती पर कैसे करें पूजन? जानें विधि और उपाय

1. प्रातः काल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और शनि मंदिर जाएं या घर में काले तिल, तेल, नीले पुष्प, काले वस्त्र और लोहे से बनी वस्तु से पूजा करें।

2. शनिदेव की मूर्ति या चित्र पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

3. “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

4. काले उड़द, काले तिल, लोहे का पात्र, कंबल आदि का दान करें।

5. पीड़ित लोगों की सेवा करें और पशु-पक्षियों को अन्न जल दें, जिससे शनि की कृपा प्राप्त होती है।

शनि जयंती: केवल पूजा नहीं, आत्मचिंतन का भी अवसर

शनि जयंती सिर्फ एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि कर्म सुधार और आत्मनिरीक्षण का दिन भी है। यह दिन हमें यह सीख देता है कि जीवन में अच्छे कर्म ही अच्छे फल देते हैं और अनुचित मार्ग पर चलने से देर-सवेर न्याय के देवता का दंड अवश्य मिलता है। इस दिन संयम, सेवा और सच्चे हृदय से की गई पूजा शनिदेव को प्रसन्न करती है और उनके शुभ प्रभाव से जीवन में स्थिरता, सफलता और संतुलन आता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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