सूर्य को अर्घ्य देने से मिलता है यश और सफलता, लेकिन इन नियमों की अनदेखी कर बैठे तो रूठ सकते हैं सूर्यदेव

भारतीय परंपरा में सूर्य उपासना को विशेष स्थान प्राप्त है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक समय तक, सूर्य को तेज, ऊर्जा, जीवन और आत्मबल का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य (जल अर्पण) करता है, तो उसके जीवन में यश, मान-सम्मान और तरक्की के द्वार खुलते हैं। लेकिन यह उपासना तभी फलदायक होती है जब सही विधि और नियमों का पालन किया जाए। यदि किसी ने अनजाने में भी इन नियमों का उल्लंघन कर दिया, तो सूर्यदेव अप्रसन्न हो सकते हैं और इसका विपरीत प्रभाव भी झेलना पड़ सकता है।
सूर्य को अर्घ्य देने का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
सूर्य केवल एक ग्रह नहीं बल्कि नवग्रहों में आत्मा स्वरूप माना गया है। जीवन में ऊर्जा, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और समाज में प्रतिष्ठा—ये सब सूर्य की कृपा से ही प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य कमजोर होने पर व्यक्ति को अपयश, आत्मबल में कमी और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रातः काल सूर्य को अर्घ्य देना एक प्रभावशाली उपाय माना गया है जो इन दोषों को दूर कर सकता है।
कैसे करें सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि?
* प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* तांबे के लोटे में साफ जल भरें, उसमें लाल पुष्प, रोली, अक्षत और थोड़ी सी शक्कर मिलाएं।
* पूर्व दिशा की ओर मुख करके सीधे खड़े हों और दोनों हाथों से धीरे-धीरे जल अर्पण करें, ताकि सूर्य की किरणें जल से होकर आपकी आंखों तक पहुंचें।
* अर्घ्य देते समय "ॐ सूर्याय नमः" या "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का उच्चारण करें।
* जल अर्पण के बाद कुछ क्षण आंखें बंद कर सूर्य का ध्यान करें और मन में अपनी कामना व्यक्त करें।
इन गलतियों से बचें, नहीं तो नाराज़ हो सकते हैं सूर्यदेव
1. गंदे वस्त्र या बिना स्नान किए अर्घ्य देना अशुभ माना जाता है।
2. तांबे के स्थान पर प्लास्टिक या स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें।
3. जल में काले तिल, नीला फूल या कोई अशुद्ध वस्तु न मिलाएं।
4. सूर्य को जल अर्पण करते समय मन विचलित या नकारात्मक विचारों से भरा न हो।
5. कभी भी सूर्य को अर्घ्य पश्चिम दिशा की ओर मुख करके न दें।
अर्घ्य देने से मिलते हैं ये अद्भुत लाभ
* आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
* समाज में यश, प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है।
* करियर और बिजनेस में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
* सूर्य दोष या पितृ दोष की स्थिति में सुधार आता है।
* आंखों, हृदय और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती है।
नियमपूर्वक सूर्य पूजा है सफलता की कुंजी
सूर्य को अर्घ्य देना केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं बल्कि एक ऊर्जावान दिनचर्या है जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाती है। लेकिन यह तभी प्रभावशाली होती है जब इसे पूरी श्रद्धा, विधि और सावधानी के साथ किया जाए। वरना इसका परिणाम उल्टा भी हो सकता है। इसलिए अगर आप जीवन में तरक्की, यश और सम्मान की चाह रखते हैं, तो हर सुबह सूरज को सही विधि से अर्घ्य देना न भूलें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।