सूर्य को जल अर्पण करने की सही विधि: न करें ये आम गलतियां, तभी मिलेगा पुण्य और शुभ फल

भारतीय संस्कृति में सूर्य देवता को प्रत्यक्ष देव कहा गया है, जिन्हें रोज़ दर्शन और पूजन का विशेष अधिकार प्राप्त है। हिंदू धर्म में सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शरीर, मन और भाग्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी मानी गई है। लेकिन बहुत से लोग सूर्य को जल अर्पण करते समय सही विधि का पालन नहीं करते, जिससे उनका यह पुण्यकर्म अधूरा रह जाता है।
वास्तव में सूर्य को जल देना केवल एक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और ऊर्जावान साधना है। इसका प्रभाव शरीर की चक्र प्रणाली से लेकर मानसिक ऊर्जा और आत्मबल तक को जाग्रत करता है। आइए जानते हैं कि सूर्य देव को जल कैसे अर्पित करें जिससे इसका पूर्ण फल प्राप्त हो।
जल चढ़ाने की शुभ विधि: दिशा, समय और प्रक्रिया में न हो लापरवाही
सूर्य को जल अर्पण करने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल का होता है, जब सूर्य उदित हो रहा हो। इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय होती है। सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में स्वच्छ जल भरें। उसमें कुछ फूल, अक्षत (चावल), और रोली या कुमकुम डाल सकते हैं।
इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके, सूर्य को नमस्कार करें। फिर अपने दोनों हाथों से जल का पात्र ऊँचाई पर उठाएं और धीरे-धीरे जल को अर्घ्य देते हुए गिराएं। जल इस प्रकार अर्पित करें कि वह सूर्य की किरणों से होकर आपकी आंखों तक पहुंचे – यह क्रिया ‘जल दृष्टि’ कहलाती है और इसका प्रभाव मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता पर पड़ता है।
अर्घ्य के दौरान इन मंत्रों का करें उच्चारण, मिलेगा विशेष पुण्य
सूर्य को जल अर्पण करते समय विशेष मंत्रों का जप करने से यह साधना और भी प्रभावशाली हो जाती है। सबसे सामान्य और प्रभावी मंत्र है:
ॐ सूर्याय नमः
इसके अलावा आप 'आदित्य हृदय स्तोत्र' या 'गायत्री मंत्र' का पाठ भी कर सकते हैं।
यदि किसी विशेष उद्देश्य जैसे रोग मुक्ति, सफलता या मनोबल वृद्धि के लिए जल चढ़ा रहे हैं तो उसके अनुसार मंत्रों का चयन कर सकते हैं। ध्यान रखें कि यह प्रक्रिया पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ की जाए – तभी इसका पूर्ण आध्यात्मिक प्रभाव प्राप्त होता है।
सूर्य अर्घ्य के लाभ: स्वास्थ्य, आत्मबल और भाग्य में होता है सुधार
सूर्य को प्रतिदिन जल अर्पण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मानसिक तनाव कम होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह साधना विशेष रूप से विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं, नौकरी की तलाश कर रहे लोगों और मानसिक कमजोरी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए बेहद उपयोगी है।
सूर्य ऊर्जा से जुड़ा यह दैनिक अभ्यास व्यक्ति के भाग्य को भी जाग्रत करता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच का है या अशुभ प्रभाव दे रहा है, उनके लिए यह उपाय अत्यंत लाभकारी माना गया है। इससे नौकरी, राजनीति, प्रशासन और नेतृत्व के क्षेत्रों में सफलता की संभावनाएं प्रबल होती हैं।
धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है सूर्य अर्घ्य का महत्व
जहां धार्मिक दृष्टिकोण से सूर्य अर्घ्य आत्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह एक सकारात्मक दिनचर्या का भाग है। प्रातःकाल सूरज की पहली किरणों से शरीर को ऊर्जा मिलती है, विटामिन D की प्राप्ति होती है और दिनभर के लिए मानसिक रूप से सजगता आती है। आंखों पर गिरती सूर्य किरणें दृष्टि शक्ति को भी प्रबल बनाती हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।