तीसरा बड़ा मंगल और शनि जयंती का महासंयोग 27 मई को, हनुमान और शनि दोनों की कृपा पाने का विशेष अवसर

तीसरा बड़ा मंगल और शनि जयंती का महासंयोग 27 मई को, हनुमान और शनि दोनों की कृपा पाने का विशेष अवसर
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वर्ष 2025 में 27 मई मंगलवार का दिन अत्यंत विशेष और दुर्लभ संयोग से परिपूर्ण है, क्योंकि इस दिन एक ओर तो तीसरा बड़ा मंगल पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर शनि जयंती भी मनाई जाएगी। ऐसा संयोग बहुत कम देखने को मिलता है, जब मंगल और शनि दोनों ही प्रमुख ग्रहों और देवताओं का पर्व एक ही दिन मनाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन बेहद शुभ और प्रभावशाली माना जा रहा है।

बड़ा मंगल विशेष रूप से हनुमान जी की आराधना के लिए जाना जाता है। उत्तर भारत, विशेष रूप से लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में इस दिन भक्त बड़ी श्रद्धा से व्रत, भंडारा और पूजा करते हैं। वहीं शनि जयंती पर शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो न्याय, कर्म और भाग्य के देवता माने जाते हैं। दोनों पर्व एक साथ आने से इस दिन का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व कई गुना बढ़ गया है।

हनुमान जी को प्रसन्न करने का विशेष दिन: बड़ा मंगल की महिमा

बड़े मंगल का पर्व ज्येष्ठ माह के मंगलवारों को विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है। तीसरे बड़े मंगल को विशेष मान्यता इसलिए दी जाती है क्योंकि यह माह के मध्य में आता है और इस दिन उपवास व पूजन का फल अत्यंत शीघ्र मिलता है।

भक्त इस दिन हनुमान मंदिरों में जाकर सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़-चना और लाल पुष्प अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी को प्रसन्न करना जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं, भय, रोग और कर्ज से मुक्ति दिला सकता है।

भंडारा, जल वितरण, और जरूरतमंदों को भोजन कराना बड़ा मंगल के पूण्य कर्मों में गिना जाता है। यह दिन भक्तों के लिए आस्था, सेवा और शक्ति अर्जन का पर्व होता है।

शनि जयंती का पुण्य पर्व: कर्मफलदाता की आराधना

शनि देव, नवग्रहों में एक ऐसे देव हैं जिनका नाम मात्र से ही लोग भयभीत हो जाते हैं। लेकिन वास्तव में वे कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं। शनि जयंती के दिन उनकी पूजा करके जीवन के कष्टों, बाधाओं, नौकरी में अस्थिरता, वैवाहिक कलह और शत्रु बाधा से मुक्ति पाई जा सकती है।

27 मई को शनि जयंती के अवसर पर तिल, काले वस्त्र, काले उड़द, तेल और लोहे के पात्र का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। साथ ही शनिदेव के मंत्र – “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

जो व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या दशा से पीड़ित हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से राहत देने वाला सिद्ध हो सकता है।

एक साथ दो देवताओं की कृपा पाने का उत्तम अवसर

जब मंगल के दिन हनुमान जी और शनिदेव दोनों की आराधना का अवसर मिले, तो इसे साधक और भक्तगण किसी भी स्थिति में चूकना नहीं चाहते।

हनुमान जी को शनि देव का संकटहारी माना जाता है। शनि देव स्वयं हनुमान जी के परम भक्त हैं और मान्यता है कि हनुमान जी की आराधना से शनि के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। इस दिन यदि एकसाथ दोनों देवताओं की विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो जीवन के रोग, शोक, कर्ज, भय, बाधा और ग्रहदोष दूर हो सकते हैं।

पूजन विधि: कैसे करें हनुमान और शनि दोनों की पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पहले हनुमान जी की पूजा करें – उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और गुड़ चना अर्पित करें। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करें।

इसके बाद शनि देव की पूजा करें – उन्हें काले तिल, सरसों का तेल, नीले फूल और काले वस्त्र अर्पित करें। शनि स्तोत्र या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और 7 बार परिक्रमा करें।

27 मई का यह पर्व देगा पुण्य, शांति और सुरक्षा का अद्भुत संगम

तीसरा बड़ा मंगल और शनि जयंती का एक ही दिन पर आना न केवल आध्यात्मिक, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी दुर्लभ अवसर है। यह दिन शक्ति, न्याय, भक्ति और कर्म का अद्भुत संगम लेकर आया है। जो भक्त इस दिन सच्चे मन से दोनों देवताओं की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन के अनेक संकटों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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