चौबेपुर में 80 वर्षीय तारा देवी ने नेत्रदान कर समाज के लिए दिया प्रेरक संदेश

गौरा कला गांव की तारा देवी ने अंगदान से चार लोगों की आंखों को रोशनी देने का मिसाल कायम की

चौबेपुर में 80 वर्षीय तारा देवी ने नेत्रदान कर समाज के लिए दिया प्रेरक संदेश
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वाराणसी. चौबेपुर क्षेत्र के गौरा कला गांव की 80 वर्षीय तारा देवी ने अपने निधन के बाद नेत्रदान कर समाज के लिए मिसाल पेश की। उनके पुत्र संतोष कुमार मौर्य ने बताया कि उन्होंने पहले ही अंगदान का संकल्प लिया था, और इसी प्रेरणा से तारा देवी ने भी नेत्रदान का निर्णय किया।


वाराणसी आई बैंक के डॉक्टर अजय मौर्या ने नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की। डॉक्टरों के अनुसार, एक व्यक्ति के नेत्रदान से चार लोगों की आंखों को रोशनी मिल सकती है, क्योंकि प्रत्येक कॉर्निया को दो भागों में विभाजित कर दो रोगियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।


कार्यक्रम में ग्राम प्रधान राजेश कुमार सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे, जिन्होंने तारा देवी के इस साहसिक और समाजोपयोगी कदम की सराहना की। इस मौके पर ग्रामीणों ने कहा कि यह कदम केवल एक व्यक्तिगत योगदान नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


नेत्रदान और अंगदान की महत्ता पर बात करते हुए डॉक्टर अजय मौर्या ने कहा कि “अंगदान केवल एक जीवन बचाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह कई लोगों के लिए नई उम्मीद और रोशनी लाने का अवसर है। एक कॉर्निया से दो मरीजों की दृष्टि सुधारी जा सकती है, इसलिए नेत्रदान अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है।”


तारा देवी के इस कदम ने चौबेपुर और आसपास के गांवों में जागरूकता फैलाने का काम किया है। उनके उदाहरण से लोगों को यह समझ में आया कि अंगदान समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है और कैसे एक व्यक्ति की सोच कई लोगों की जिंदगी बदल सकती है।


ग्राम प्रधान राजेश कुमार ने कहा कि “तारा देवी का यह साहसिक कदम सभी के लिए प्रेरणा है। हमें चाहिए कि हम उनके योगदान को याद रखें और अंगदान के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाएं।”


तारादेवी के नेत्रदान ने अंगदान के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम कर रहा है। गौरा कला गांव के लोग और आसपास के ग्रामीण अब अंगदान के महत्व को समझते हुए दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

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