8 जून से 15 नवंबर तक नहीं होंगे विवाह, गुरु अस्त और चातुर्मास के कारण लग जाएगा शादी समारोहों पर विराम

वर्ष 2025 में विवाह की योजना बना रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। 8 जून 2025 के बाद से 15 नवंबर 2025 तक के लंबे अंतराल में विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर पूर्ण विराम लग जाएगा। इसका कारण है गुरु ग्रह का अस्त होना और इसके बाद चातुर्मास का आरंभ, जिसके चलते हिन्दू धर्मशास्त्रों में विवाह जैसे शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है।
क्यों रुक जाते हैं विवाह समारोह? जानिए गुरु अस्त और चातुर्मास का महत्व
हिन्दू पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, विवाह के लिए केवल तब ही मुहूर्त मान्य होते हैं जब ग्रह-नक्षत्र अनुकूल हों और प्रमुख देवगुरु बृहस्पति (गुरु ग्रह) आकाश में उदय अवस्था में हों। लेकिन इस वर्ष 12 जून 2025 को गुरु ग्रह अस्त हो जाएंगे, जिसका सीधा असर विवाह योगों पर पड़ेगा। गुरु ग्रह को विवाह, शिक्षा, धर्म और समाजिक रीति-रिवाजों का अधिपति माना जाता है। जब यह ग्रह अस्त होता है, तब शुभ कार्यों को टालना ही हितकारी माना जाता है।
इसके अलावा, 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास आरंभ हो जाएगा। यह चार महीने की अवधि भगवान विष्णु की योग निद्रा का समय मानी जाती है, जिसमें विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। चातुर्मास 1 नवंबर 2025 को समाप्त होगा, लेकिन विवाहों का सिलसिला तब शुरू होगा जब गुरु ग्रह पुनः उदित होंगे, यानी 15 नवंबर 2025 के बाद से।
अब केवल 8 जून तक ही बचा है विवाह का समय, बचे हैं केवल 12 शुभ दिन
मई और जून के महीने में विवाह के कुछ ही शुभ मुहूर्त शेष रह गए हैं। इन मुहूर्तों में भी अधिकांश तिथियां या तो पहले ही निकल चुकी हैं या व्यस्त हो चुकी हैं। अब सिर्फ 8 जून 2025 तक के 12 शुभ मुहूर्त शेष हैं, जिनमें विवाह संपन्न कराए जा सकते हैं। इसके बाद लगभग पांच महीने का विराम रहेगा।
ऐसे में जिन परिवारों ने अब तक विवाह की तिथि निर्धारित नहीं की है, उन्हें जल्द से जल्द मुहूर्त बुक करने की सलाह दी जा रही है। क्योंकि विवाह स्थगन के इस कालखंड में कोई भी वैदिक रीति से विवाह नहीं करवाया जा सकेगा।
चातुर्मास और गुरु अस्त के दौरान क्या करें?
इस अवधि को विवाह समारोहों के लिए वर्जित जरूर माना गया है, लेकिन यह समय ध्यान, साधना, व्रत और सेवा कार्यों के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। इस दौरान मंदिरों में पूजा-अर्चना, कथा, व्रत-उपवास, और धार्मिक आयोजनों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
इसलिए, विवाह की तैयारी कर रहे परिवारों को चाहिए कि वे जल्द से जल्द 8 जून से पहले विवाह की तारीख सुनिश्चित करें या फिर 15 नवंबर के बाद के मुहूर्त की प्रतीक्षा करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।