योगिनी एकादशी 2025 व्रत की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानें, 21 जून को मिलेगा पापों से मुक्ति का वरदान

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है और वर्षभर में कुल 24 एकादशियाँ आती हैं, जिनमें से योगिनी एकादशी को विशेष पुण्यफलदायक माना गया है। इस बार जून माह की योगिनी एकादशी को लेकर श्रद्धालुओं में उत्सुकता बनी हुई है कि यह व्रत 21 जून को रखा जाए या 22 जून को।
पंडितों और पंचांग विश्लेषण के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 20 जून को रात 9 बजकर 29 मिनट पर होगा, जो 21 जून को रात 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। चूंकि एकादशी व्रत का निर्धारण उदयातिथि के आधार पर किया जाता है, इसलिए इस बार योगिनी एकादशी व्रत 21 जून 2025, शनिवार के दिन रखा जाएगा।
योगिनी एकादशी: भगवान विष्णु की कृपा पाने का उत्तम अवसर
योगिनी एकादशी को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य का संचय होता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, इस एकादशी का व्रत व्यक्ति के रोग, दरिद्रता, मानसिक कष्ट और नकारात्मकता को दूर करता है।
इस दिन भक्तजन प्रातःकाल उठकर स्नान ध्यान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। श्रीहरि विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, तुलसी पत्र, पंचामृत, पुष्प और पीले वस्त्रों से पूजन किया जाता है। व्रतधारी दिनभर निराहार रहकर हरिनाम संकीर्तन, व्रतकथा पाठ और ध्यान में समय बिताते हैं। रात्रि जागरण एवं भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है।
व्रत पारण की विधि और समय
योगिनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी 22 जून 2025 को रविवार की सुबह किया जाएगा। पारण का उपयुक्त समय प्रातः 6:00 बजे से लेकर 8:30 बजे के बीच रहेगा। व्रतधारी को पारण से पहले भगवान विष्णु का स्मरण कर फल, जल या अन्न का सेवन कर व्रत पूर्ण करना चाहिए।
अगर आप भी अपने जीवन में पवित्रता, शांति और विष्णु कृपा की प्राप्ति चाहते हैं तो योगिनी एकादशी का यह व्रत आपके लिए अत्यंत शुभ अवसर हो सकता है। 21 जून को पूर्ण श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल का संचार भी होता है। ऐसे में इस व्रत को केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का माध्यम मानें और पूरे समर्पण के साथ पालन करें।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।