ईडी का बड़ा छापा: कई राज्यों में जानलेवा कफ सीरप रैकेट पर कार्रवाई, करोड़ों के संदिग्ध लेन-देन की जांच
झारखंड, गुजरात और यूपी में ईडी की धड़ाधड़ छापेमारी, कफ सीरप घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज

देशभर में नकली और खतरनाक कफ सीरप की अवैध सप्लाई पर नकेल कसने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की। एजेंसी ने झारखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में एक साथ छापेमारी करते हुए उन ठिकानों को निशाना बनाया, जिन पर कफ सीरप के काले कारोबार और मनी लॉन्ड्रिंग का संदेह था। यह अभियान सुबह-सुबह शुरू हुआ और देर शाम तक जारी रहा, जिसमें कई दस्तावेज़, डिजिटल रिकॉर्ड और संदिग्ध लेन-देन से जुड़े कागजात ईडी के हाथ लगे।
छापों के दौरान ईडी की टीमों ने उन कंपनियों, गोदामों और वितरण केंद्रों की भी जांच की, जिन पर मिलावटी कफ सीरप के उत्पादन और सप्लाई में शामिल होने का आरोप है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इन अवैध दवाओं की तस्करी दूसरे राज्यों और पड़ोसी देशों तक होने की आशंका जताई गई है। अधिकारियों का मानना है कि इस नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई होगी, जिसे छिपाने के लिए फर्जी बैंक खातों, शेल कंपनियों और हवाला चैनलों का उपयोग किया गया।
सूत्रों का कहना है कि ईडी को हाल ही में मिले इनपुट में कई नाम सामने आए थे, जिनके ठिकानों पर आज कार्रवाई की गई। जांच एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि इस मामले में कुछ स्थानीय दवा निर्माताओं और थोक विक्रेताओं की भी भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है। जल्द ही कुछ लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजा जा सकता है।
झारखंड के धनबाद और रांची, गुजरात के अहमदाबाद और सूरत, तथा उत्तर प्रदेश के लखनऊ और कानपुर में ईडी की टीमों की लगातार मौजूदगी से स्थानीय प्रशासन भी सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य विभाग को भी इस अवैध कफ सीरप नेटवर्क से जुड़े सैंपल की जांच और बाजार में मौजूद स्टॉक की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
जैसे-जैसे छापेमारी आगे बढ़ रही है, यह साफ होता जा रहा है कि यह सिर्फ नकली दवाओं का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े वित्तीय अपराध का हिस्सा है। ईडी का दावा है कि आने वाले दिनों में जांच के और विस्तार की संभावना है और इस पूरे रैकेट से जुड़े कई और राज़ खुल सकते हैं।
