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2017 अभिनेत्री हमले मामले में बड़ा फैसला, एर्नाकुलम सेशंस कोर्ट ने छह दोषियों को सुनाई 20 साल की कठोर कैद

2017 अभिनेत्री हमले मामले में बड़ा फैसला, एर्नाकुलम सेशंस कोर्ट ने छह दोषियों को सुनाई 20 साल की कठोर कैद
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एर्नाकुलम की प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने शुक्रवार को वर्ष 2017 में सामने आए अभिनेत्री पर हमले के बहुचर्चित मामले में अहम और सख्त फैसला सुनाते हुए सभी छह दोषियों को 20-20 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई। अदालत के इस निर्णय को महिला सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया के लिहाज से एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय तक चली सुनवाई और सबूतों के विस्तृत परीक्षण के बाद कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में अपराध की प्रकृति अत्यंत गंभीर थी और इसमें किसी भी प्रकार की नरमी बरतना न्याय के सिद्धांतों के विपरीत होता।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वर्ष 2017 में घटित यह घटना न केवल पीड़िता के व्यक्तिगत सम्मान और सुरक्षा पर सीधा हमला थी, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करती है। कोर्ट ने गवाहों के बयान, फॉरेंसिक साक्ष्यों और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत तथ्यों का बारीकी से मूल्यांकन करते हुए सभी आरोपियों को दोषी करार दिया। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि अपराध पूर्व नियोजित था और इसे अंजाम देने में आरोपियों की सक्रिय भूमिका रही, जिसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने लगातार यह तर्क रखा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों पर प्रभावी रोक लग सके। कोर्ट ने इस दलील से सहमति जताते हुए कहा कि न्याय का उद्देश्य केवल सजा देना ही नहीं, बल्कि समाज में कानून के प्रति विश्वास को मजबूत करना भी है। पीड़िता के संघर्ष और न्याय के लिए उसके लंबे इंतजार को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सख्त रुख अपनाया और सभी दोषियों को 20 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई।

अदालत के इस फैसले के बाद कानूनी और सामाजिक हलकों में व्यापक चर्चा देखने को मिल रही है। इसे महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, जहां न्यायिक व्यवस्था ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ऐसे गंभीर अपराधों में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यह निर्णय न केवल पीड़िता के लिए न्याय की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, बल्कि समाज में कानून के डर और महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने वाला भी साबित हो सकता है।

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