आरुषि हत्याकांड: जानिए सब कुछ, कब, कहां और क्या-क्या हुआ?

लखनऊ: आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल सुनवाई करते हुए डा. नूपुर तलवार और डा. राजेश तलवार को राहत देते हुए बरी कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि मां-बाप ने आरुषि तलवार को नहीं मारा था. इसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में राजेश और नूपुर तलवार को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील की. इस पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत हो गया.
बता दें कि सीबीआई की अदालत ने तलवार दंपति को 26 नवंबर 2013 को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीबीआई की अदालत के आदेश के खिलाफ तलवार दंपति की अपील को बरकरार रखा. मई 2008 में तलवार दंपति के नोएडा स्थित घर पर उनकी बेटी आरुषि अपने कमरे में मृत मिली थी. उसकी हत्या गला काटकर की गई थी.
शुरुआत में शक की सुई 45 वर्षीय घरेलू सहायक हेमराज की ओर घूमी थी क्योंकि घटना के बाद से वह लापता था, लेकिन दो दिन बाद हेमराज का शव भी बिल्डिंग की छत से मिला था. मामले में लापरवाहीपूर्ण तरीके से जांच करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी.
आरुषि हत्याकांड का सिलसिलेवार घटनाक्रम-
16 मई 2008: आरुषि तलवार अपने बेडरूम में मृत पाई गई. हत्या का शक घरेलू सहायक हेमराज पर.
17 मई 2008: हेमराज का शव उस इमारत की छत पर पाया गया जिसमें तलवार का फ्लैट है.
19 मई 2008: तलवार के पूर्व घरेलू सहायक विष्णु शर्मा को संदिग्ध माना गया.
23 मई: आरुषि के पिता राजेश तलवार को मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तार किया गया.
01 जून: मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ली.
13 जून: सीबीआई ने तलवार के घरेलू सहायक कृष्णा को गिरफ्तार किया.
26 जून: सीबीआई ने मामले को सुराग विहीन बताया . गाजियाबाद के विशेष मेजिस्ट्रेट ने राजेश तलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया.
12 जुलाई: राजेश तलवार को जमानत दी गई.
29 दिसंबर: सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की, जिसमें घरेलू सहायकों को क्लीन चीट दिया गया लेकिन माता-पिता की तरफ ऊंगली उठाई.
9 फरवरी, 2011: अदालत ने सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह आरुषि के माता-पिता पर लगाए गए हत्या और सबूत मिटाने के अभियोजन के आरोप को लेकर मामला जारी रखें.
21 फरवरी: तलवार दंपत्ति ने इलाहाबाद कोर्ट से निचली अदालत द्वारा जारी किए गए सम्मन को खारिज करने के लिए संपर्क किया.
18 मार्च: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
नवंबर, 2013: राजेश और नुपूर तलवार को दोहरी हत्या का दोषी करार देते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गाजियाबाद में उन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
7 सितंबर, 2017: इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा और 12 अक्तूबर को फैसले की तारीख दी.
12 अक्तूबर, 2017: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि के माता-पिता को बरी किया.