Home > जीवन-धर्म > अचला सप्तमी: सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करता है यह व्रत, जानिए पूरी कथा

अचला सप्तमी: सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करता है यह व्रत, जानिए पूरी कथा

अचला सप्तमी: सौभाग्य और संतान सुख प्रदान करता है यह व्रत, जानिए पूरी कथा

माघ मास की शुक्ल पक्ष की...Editor

माघ मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या, पूर्णिमा और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। इस वर्ष माघ शुक्ल सप्तमी 24 जनवरी को है। इस सप्तमी को शास्त्रों में अचला सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क, रथ और पुत्र सप्तमी भी कहा गया है। इसी दिन सूर्य ने सबसे पहले अपना प्रकाश प्रकाशित किया था। आज के दिन तेल और नमक का अवश्य त्याग करना चाहिए। भविष्य पुराण में इस सप्तमी को वर्ष भर की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।


माघ मास की सप्तमी को जो व्यक्ति सूर्य की पूजा करके एक समय मीठा भोजन अथवा फलाहार करता है उसे पूरे साल सूर्य की पूजा करने का पुण्य एक ही बार में प्राप्त हो जाता है। इस व्रत के महत्व के विषय में भविष्य पुराण में कहा गया है कि यह व्रत सौभाग्य, रूप और संतान सुख प्रदान करने वाला है।

माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान करके सूर्य को दीप दान करना उत्तम फलदायी माना गया है। प्रातः काल किसी अन्य के जलाशय में स्नान करने से पूर्व स्नान किया जाय तो यह बड़ा ही पुण्यदायी होता है।

भविष्य पुराण में इस संदर्भ में एक कथा है कि एक गणिका ने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया था। इसे जब अपने अंत समय का ख्याल आया तो वशिष्ठ मुनि के पास गयी। गणिका ने मुनि से अपनी मुक्ति का उपाय पूछा। इसके उत्तर में मुनि ने कहा कि, माघ मास की सप्तमी अचला सप्तमी है। इस दिन किसी अन्य के जल में स्नान करके जल को चल बनाने से पूर्व स्नान किया जाए और सूर्य को दीप दान करें तो महान पुण्य प्राप्त होता है। गणिका ने मुनि के बताये विधि के अनुसार माघी सप्तमी का व्रत किया जिससे शरीर त्याग करने के बाद उसे इन्द्र की अप्सराओं का प्रधान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

Tags:    
Share it
Top