होलिका दहन से दो दिन पहले है प्रदोष व्रत, जानिए क्या है विधि
- In जीवन-धर्म 12 March 2019 5:21 AM GMT
आप सभी जानते ही हैं कि भगवान शिव को सर्वोच्च प्रिय कोई व्रत है तो वह है प्रदोष व्रत और इसमें भी सोमवार और शनिवार का संयोग आना बड़े महत्व का होता है. ऐसे में इस बार प्रदोष व्रत सोमवार 18 मार्च को आ रहा है, जो सोम प्रदोष का शुभ संयोग बना रहा है और इस दिन व्रत रखने वालों की किस्मत खुलने वाली है. जी हाँ, फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन से ठीक पहने आने वाले इस प्रदोष व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है क्योंकि इस संयोग में की जाने वाली शिव की आराधना अनंत गुना फलदायी होती है. ऐसे में शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और वे साधक को समस्त प्रकार की सुख-समृद्धि, भोग, ऐश्यर्वशाली जीवन, सुखी वैवाहिक जीवन, श्रेष्ठ आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करते हैं. इसी के साथ अगर किसी विशेष कामना की पूर्ति के निमित्त प्रदोष व्रत किए जाए तो वह कामना भी सौ फीसदी पूरी हो जाती है.
आइए जानते हैं कैसे करें प्रदोष व्रत - अगर आप प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो इसे करने के लिए प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान शिव का पूजन करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें. अब अगर आप किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प करते समय उस कार्य का भी उच्चारण करें. अब इसे करने के बाद पूरे दिन निराहर, निर्जल रहते हुए भगवान शिव की आराधना में लीन रहें. वहीं अंत में यानी शाम को पूजा के समय यानी सायं 4.30 से 7 बजे के बीच के समय स्नान कर लें और साफ स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें.
इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें और पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार कर लें. अब कुशा के आसन पर बैठकर शिव का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना शुरू करें. अब शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, आंक के पुष्प आदि अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का नैवेद्य लगा दें और इसके बाद सोम प्रदोष व्रत की कथा सुन लें जो सबसे महत्वपूर्ण है. अब कथा समाप्ति के बाद ओम नमः शिवाय मंत्र से 108 आहूति डालकर हवन कर लें. इससे आपके काम सिद्ध हो जाएंगे.