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आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि अंतिम चरण में, 3 जुलाई को अष्टमी और 4 जुलाई को समाप्ति

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि अंतिम चरण में, 3 जुलाई को अष्टमी और 4 जुलाई को समाप्ति
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हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष भर में कुल चार नवरात्रियां आती हैं, जिनमें से दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त होती हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रियों की पूजा में सभी लोग खुले रूप से भाग लेते हैं, जबकि गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से साधना, तंत्र और गुप्त उपासना के लिए मानी जाती है। इस समय आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का पावन अवसर चल रहा है, जिसकी शुरुआत 26 जून 2025 से हुई थी और इसका समापन 4 जुलाई को होगा।

क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व?

गुप्त नवरात्रि को विशेष रूप से तांत्रिक साधना, देवी शक्ति के रहस्यमयी रूपों की उपासना और आत्मबल बढ़ाने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की गुप्त रूप से साधना की जाती है, जिससे साधक को अद्भुत सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं। विशेषकर तांत्रिक, योगी और साधक इस अवसर को साधना के लिए सर्वोत्तम मानते हैं।

3 जुलाई: गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष योग

गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि 3 जुलाई 2025 को पड़ रही है, जो देवी उपासकों के लिए अत्यंत शुभ मानी जा रही है। अष्टमी तिथि को मां महागौरी या कालरात्रि जैसी शक्तिशाली देवियों की पूजा की जाती है। इस दिन की गई आराधना विशेष फलदायक होती है और मान्यता है कि देवी अपने भक्तों के समस्त विघ्नों का नाश करती हैं।

4 जुलाई को होगी समाप्ति, पूर्णाहुति का दिन

गुप्त नवरात्रि की समाप्ति 4 जुलाई को होगी, जब नौ दिनों की साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस दिन हवन, कन्या पूजन, और ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व होता है। साधक इस दिन अपनी साधना का समापन विधिवत करते हैं और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं कि उनके जीवन में सफलता, सुरक्षा और समृद्धि बनी रहे।

गुप्त नवरात्रि में क्या करें?

गुप्त नवरात्रि में देवी की आराधना के साथ-साथ साधक गुप्त मंत्रों का जाप करते हैं, विशेष नियमों का पालन करते हैं और उपवास रखते हैं। इस दौरान मां भगवती की उपासना मानसिक एकाग्रता, आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने के लिए की जाती है। इस नवरात्रि को मौन साधना, दीप साधना, या यंत्र-तंत्र साधना के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि आस्था और साधना का ऐसा संगम है जो भक्तों को देवी शक्ति के रहस्यमय और प्रभावशाली स्वरूपों से जोड़ता है। 3 जुलाई की अष्टमी और 4 जुलाई की पूर्णाहुति तिथि देवी उपासकों के लिए एक विशेष अवसर है, जिसे सच्ची श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्य कृपा की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर साधना और भक्ति का लाभ जरूर उठाएं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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