Christmas 2017: जानिए संत निकोलस कैसे बने सैंटा क्लॉज और क्यों देते हैं उपहार
- In जीवन-धर्म 25 Dec 2017 8:25 AM GMT
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25 दिसंबर को पूरी दुनिया में जीसस क्राइस्ट के जन्म दिवस के रुप में क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस के मौके पर सबसे ज्यादा क्रेज सैंटा क्लॉज का होता है, खासतौर पर बच्चें बेसब्री से सैंटा क्लॉज से उपहार पाने के लिए इंतजार करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं सैंटा क्लॉज क्यों बच्चों को उपहार देते हैं और कब से शुरू हुई परंपरा आइए जानते हैं।
सैंटा क्लॉज के बारे में ऐसी मान्यता है कि सैंटा का घर उत्तरी ध्रुव पर स्थित है और वे उड़ने वाले रेनडियर की गाड़ी पर चलते हैं। हालांकि सैंटा का यह रूप 19वीं सदी से चलन में आया उसके पहले ऐसा नहीं था।
संत निकोलस को असली सैंटा माना जाता है। संत निकोलस का जन्म प्रभु इशु की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ था। संत निकोलस बचपन में ही अनाथ हो गए थे जिसके कारण उनकी प्रभु यीशु में गहरी आस्था थी।
संत निकोलस बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी फिर बाद में बिशप बनें। उन्हें बच्चों और जरुरतमंद लोगों को उपहार देना बहुत अच्छा लगता था।
संत निकोलस जब भी किसी को उपहार देते थे तो हमेशा आधी रात को ही देते थे क्योंकि उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं करते थे और वह अपनी पहचान किसी के सामने जाहिर करना नहीं चाहते थे।
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