24 जुलाई 2025 को है हरियाली अमावस्या, जानिए सावन की इस खास तिथि का महत्व और पूजन विधि

24 जुलाई 2025 को है हरियाली अमावस्या, जानिए सावन की इस खास तिथि का महत्व और पूजन विधि
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सावन मास और अमावस्या का मिलन

हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली अमावस्या सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व प्रकृति, पर्यावरण और पितृ पूजन से जुड़ा एक अत्यंत पावन अवसर होता है। इस बार हरियाली अमावस्या 24 जुलाई 2025, गुरुवार को पड़ रही है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ होता है, बल्कि पर्यावरण और जीवन में हरियाली, समृद्धि व मानसिक शांति की कामना के लिए भी आदर्श माना जाता है।

हरियाली और अध्यात्म का संगम

सावन का महीना वैसे भी भगवान शिव की आराधना के लिए श्रेष्ठ होता है और जब अमावस्या इस मास में आती है, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। हरियाली अमावस्या को देवी-देवताओं की पूजा के साथ-साथ वृक्षारोपण, पीपल-बरगद के वृक्ष की पूजा, वनों की रक्षा की शपथ, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने की परंपरा जुड़ी हुई है। यह दिन जीवन में शांति, शुद्धता और संतुलन लाने का प्रतीक बनता है।

हरियाली अमावस्या पर पितृ पूजन और उपाय

यह अमावस्या पितरों के तर्पण के लिए भी उत्तम मानी जाती है। जो लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति चाहते हैं, वे इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं। इसके अलावा, कुछ विशेष उपाय जैसे काले तिल का दान, पितरों के नाम से जल अर्पण और पिपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना भी अत्यंत फलदायी माना गया है। साथ ही इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, जल और दूध चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सुख-समृद्धि के लिए करें ये सरल उपाय

हरियाली अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करना, गरीबों को हरी वस्तुएं जैसे मूंग, हरे वस्त्र या धन दान करना और हनुमान जी को चोला चढ़ाना अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि यह दिन धरती पर नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने वाला होता है। इसलिए इस दिन किया गया दान, पूजा और जप कई गुना फल प्रदान करता है।

हरियाली अमावस्या सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति और पूर्वजों के प्रति आभार प्रकट करने का एक विशेष अवसर है। 24 जुलाई को मनाई जा रही यह अमावस्या, न केवल आध्यात्मिक लाभ देती है बल्कि पारिवारिक शांति, आर्थिक उन्नति और मानसिक संतुलन भी प्रदान करती है। सावन के इस पावन मास में हरियाली अमावस्या को मनाना, जीवन को नयापन और ऊर्जा देने जैसा है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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