5 अगस्त 2025 को है पुत्रदा एकादशी: जानिए इस व्रत का महत्व, विधि और शुभ फल

संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष व्रत — पुत्रदा एकादशी
हिंदू धर्म में वर्षभर कुल 24 एकादशी आती हैं, जिनमें प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। इनमें से सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत उन दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है जो संतान की प्राप्ति की कामना रखते हैं। इस वर्ष यह पुण्यकारी एकादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की कृपा
पुत्रदा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक उपवास और पूजन करने से भगवान विष्णु विशेष कृपा प्रदान करते हैं और व्रती को संतान सुख के साथ जीवन के अन्य संकटों से भी मुक्ति मिलती है। यह व्रत सिर्फ पुत्र की प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि संतान की सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए भी प्रभावशाली माना गया है।
व्रत की कथा से मिलता है आध्यात्मिक संदेश
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय विदिशा नगरी के राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या को संतान नहीं थी। उन्होंने महर्षियों के कहने पर पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से यह एकादशी व्रत पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए वरदानस्वरूप मानी जाती है।
पूजन विधि और नियम
इस दिन सुबह स्नान के बाद व्रती संकल्प लेकर व्रत की शुरुआत करते हैं। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र पर पीले फूल, तुलसी दल, पंचामृत, फल और धूप-दीप से पूजन किया जाता है। रात भर जागरण और भजन-कीर्तन करने का विधान है। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण किया जाता है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति इस दिन विशेष रूप से विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण स्तोत्र का पाठ करें।
व्रत का वैज्ञानिक और मानसिक प्रभाव
पुत्रदा एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी शांति और संतुलन प्रदान करती है। उपवास के माध्यम से आत्मशुद्धि होती है और मनुष्य में संयम व समर्पण की भावना उत्पन्न होती है। यह व्रत परिवारिक संबंधों को मजबूत करने का माध्यम भी बनता है।
5 अगस्त 2025 को आने वाली पुत्रदा एकादशी केवल व्रत नहीं, बल्कि श्रद्धा, संयम और आस्था की परीक्षा है। इस दिन की गई भगवान विष्णु की आराधना, उपवास और पुण्य कार्य जीवन में सुख, संतान सुख और आध्यात्मिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यदि सही विधि और भावना से यह व्रत रखा जाए, तो जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति संभव है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।