देवघर में सावन की पहली सोमवारी पर आस्था का जनसैलाब, बाबा बैद्यनाथ धाम में उमड़े हजारों श्रद्धालु

देवघर में सावन की पहली सोमवारी पर आस्था का जनसैलाब, बाबा बैद्यनाथ धाम में उमड़े हजारों श्रद्धालु
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सावन माह की पहली सोमवारी पर देशभर से शिवभक्तों का श्रद्धा और भक्ति से भरा जनसैलाब झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर में उमड़ पड़ा। सोमवार तड़के से ही मंदिर परिसर और आसपास की गलियां जय शिव शंकर, बोल बम के जयकारों से गूंज उठीं। बाबा बैजनाथ के दर्शन और जलार्पण के लिए भक्तों की लंबी कतारें सुबह से लेकर देर रात तक लगी रहीं, जिसमें महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल थे।

दूर-दूर से आए श्रद्धालु, सुरक्षा व्यवस्था रही चौकस

देश के कोने-कोने से कांवड़ यात्रा के माध्यम से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगाजल लेकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। हरिद्वार, सुल्तानगंज, वाराणसी, गढ़मुक्तेश्वर, पटना और नेपाल से भी भक्तों का आना जारी रहा। प्रशासन ने इस विशाल भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मजबूत सुरक्षा और चिकित्सा प्रबंध किए थे। मंदिर प्रशासन और पुलिस बल चौबीसों घंटे तैनात रहा ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

बैद्यनाथ धाम में सावन की सोमवारी का विशेष महत्व

बाबा बैद्यनाथ धाम को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि सावन माह की प्रत्येक सोमवारी को यहां की गई पूजा मनोकामना पूर्ति और पापों के नाश का द्वार खोलती है। विशेषकर पहली सोमवारी का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सावन व्रत की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और बाबा को गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और दूध अर्पित करते हैं।

प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच तालमेल से सफल रहा आयोजन

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद व्यवस्था में कोई खास बाधा नहीं आई। स्वयंसेवी संस्थाएं, मंदिर समिति और जिला प्रशासन के बीच तालमेल के चलते पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से संपन्न हुआ। साथ ही जगह-जगह भोजन-जल वितरण, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, और मोबाइल शौचालय जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं।

श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक बनी देवघर की पहली सोमवारी

सावन 2025 की पहली सोमवारी ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि बाबा बैद्यनाथ धाम केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि अडिग आस्था का केंद्र है। हजारों-लाखों की संख्या में उमड़े भक्तों ने शिव भक्ति का ऐसा संगम रचाया, जिसने पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और श्रद्धा की मिसाल भी पेश की।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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